अध्यात्म

अध्यात्म में जब कोई शिष्य किसी संत के पास जाता है और उसे कृपा का अनुभव होता है, जैसे ठंडी सांस या शांति महसूस होती है, तो इसे आमतौर पर “गुरु कृपा” या “दिव्य अनुग्रह” कहा जाता है। यह इबादत या साधना की उस अवस्था को दर्शाता है जहां शिष्य गुरु की उपस्थिति में आध्यात्मिक ऊर्जा या सकारात्मक स्पंदनों को महसूस करता है।

ऐसा अनुभव अक्सर निम्नलिखित कारणों से होता है:

  1. गुरु की ऊर्जा और आशीर्वाद: संत या गुरु के पास अत्यधिक सकारात्मक और शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा होती है, जो शिष्य को शांति और ठंडक का अनुभव कराती है।
  2. भक्ति और श्रद्धा: शिष्य की गहरी श्रद्धा और भक्ति भी ऐसे अनुभव को उत्पन्न कर सकती है, क्योंकि वह अपने मन और आत्मा को पूरी तरह गुरु के प्रति समर्पित कर देता है।
  3. ध्यान और साधना का प्रभाव: यदि शिष्य नियमित रूप से ध्यान या साधना करता है, तो उसकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है, जिससे वह सूक्ष्म ऊर्जा को महसूस कर सकता है।
  4. आध्यात्मिक जागृति: यह अनुभव कभी-कभी आध्यात्मिक जागरण या चेतना के विस्तार का भी संकेत हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *