अध्यात्मिक फ़क़ीर संत महात्मा की विशेषताएँ और उनकी आध्यात्मिक स्थिति निम्नलिखित होती हैं:
- निर्लिप्तता और वैराग्य: वे संसारिक मोह-माया से पूर्णतः मुक्त होते हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं में उनकी कोई आसक्ति नहीं होती।
- समदृष्टि: वे सभी प्राणियों को समान दृष्टि से देखते हैं, चाहे वह मित्र हो या शत्रु, धनी हो या निर्धन।
- करुणा और प्रेम: उनका हृदय करुणा और प्रेम से भरा होता है। वे सभी जीवों के प्रति दया और सहानुभूति रखते हैं।
- स्वार्थहीन सेवा: वे बिना किसी अपेक्षा के सेवा करते हैं और अपने कर्मों का फल ईश्वर को अर्पित करते हैं।
- ज्ञान और विवेक: उन्हें आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है। वे सत्य के मार्ग पर चलते हैं और दूसरों को भी ज्ञान का प्रकाश दिखाते हैं।
- आत्मसंयम और तपस्या: वे इन्द्रियों पर नियंत्रण रखते हैं और साधना, तप, और ध्यान में लीन रहते हैं।
- आनंद की स्थिति: वे सदा आनंदित और शांत रहते हैं क्योंकि वे आत्म-साक्षात्कार के कारण बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित रहते हैं।
- निःस्वार्थ प्रेम और भक्ति: वे ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण रखते हैं। उनकी भक्ति निःस्वार्थ और शुद्ध होती है।
- सत्य और सरलता: वे सत्य के मार्ग पर चलते हैं और उनके आचरण में सरलता, पवित्रता, और निष्कपटता होती है।
- समाधि की अवस्था: उनकी आत्मा ब्रह्मानंद में लीन रहती है, जिसे समाधि की अवस्था कहा जाता है। यह उनकी उच्चतम आध्यात्मिक स्थिति होती है।