अपने आराध्य को हर वक़्त ध्यान कर मनन करना ही सेवा है इसमें माता पिता और गुरु किसी भी की हम सेवा करते है तो हमारे बुरे कर्म कटते है और अच्छे कर्म पनपते है पूजा ध्यान भक्ति समाधि किसी भी एक को अपना कर हम जीवन सुधार सकते है और गुरु के माध्यम से केवल्य स्तिथि पा सकते है उसके लिए गुरु का पूर्ण होना जरूरी है