अहंकार शून्यता वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति “मैं” और “मेरा” की भावना से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह अद्वैत वेदांत और योग में आत्म-साक्षात्कार का मुख्य लक्ष्य है। जब अहंकार समाप्त हो जाता है, तो आत्मा की शुद्ध चेतना (ब्रह्म) का साक्षात्कार होता है। इसे अहं-नाश या अहंकार विमुक्ति भी कहा जाता है।