आत्मा का महत्व हिंदू दर्शन, वेदांत, और कई अन्य आध्यात्मिक परंपराओं में अत्यंत गहन और केंद्रीय भूमिका निभाता है। आत्मा को ‘अमृत’ (अमर), ‘नित्य’ (शाश्वत), और ‘अविनाशी’ कहा गया है। यह शरीर, मन, और बुद्धि से परे है और साक्षी रूप में उपस्थित रहता है।
आत्मा का क्या अर्थ है?
संस्कृत में: ‘आत्मा’ शब्द ‘आत्म’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘स्वयं’ या ‘स्वरूप’।
वेदांत में: आत्मा को ‘ब्रह्म का अंश’ माना जाता है, अर्थात् यह परमात्मा (परम चेतना) का ही अंश है।
गीता में: भगवान कृष्ण ने कहा है, “न जायते म्रियते वा कदाचित्” (आत्मा का न जन्म होता है, न मृत्यु)।