ओम: यह ब्रह्मांड की आदिशक्ति और अनहद नाद (बिना टकराव के ध्वनि) मानी जाती है। इसे सभी ध्वनियों का स्रोत माना गया है और ध्यान में इसके उच्चारण से मन शुद्ध और एकाग्र होता है।
सोऽहं: इसका अर्थ है “मैं वही हूँ” या “मैं ब्रह्म हूँ”। यह श्वास से जुड़ा मंत्र है:
जब हम सांस अंदर लेते हैं, तो “सो” की ध्वनि होती है।
जब हम सांस बाहर छोड़ते हैं, तो “हं” की ध्वनि होती है।
यह सहज मंत्र हमें आत्मा और परमात्मा की एकता का अनुभव कराता है।