- ध्यान और एकाग्रता:
प्रतिदिन ध्यान (मेडिटेशन) में बैठें और “ओम” या “सोऽहं” का मानसिक जाप करें।
सांस के साथ मंत्र को जोड़ें: अंदर जाते समय “सो” और बाहर आते समय “हं”।
यह मन को शांत और एकाग्र करता है, जिससे आंतरिक चेतना और आत्मा की आवाज सुनाई देने लगती है।
- मौन और आत्मावलोकन:
कुछ समय मौन में बिताएँ, विचारों का निरीक्षण करें लेकिन उनमें उलझें नहीं।
आंतरिक मौन से आत्मा की सूक्ष्म आवाज सुनी जा सकती है।
- हृदय के स्पंदन पर ध्यान:
हृदय की धड़कनों पर ध्यान केंद्रित करें और महसूस करें कि हर धड़कन में ईश्वर की उपस्थिति है।
यह आत्मा और शरीर के संबंध को समझने में मदद करता है।