जब किसी व्यक्ति का हृदय ऊर्जा से जाग्रत होता है और उसका सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर सक्रिय होते हैं, तो वह व्यक्ति आध्यात्मिक तवज्जुह (आध्यात्मिक ध्यान और शक्ति) प्रदान करने में सक्षम होता है। यह ऊर्जा और तवज्जुह शिष्य या अन्य व्यक्तियों तक पहुंचती है, जैसे कि वह ऊर्जा जीवित गुरु से प्राप्त होती थी।
यह दृष्टिकोण विशेष रूप से भारतीय योग, तंत्र, और आध्यात्मिक परंपराओं में देखा जाता है, जहां गुरु का आशीर्वाद और उनकी ऊर्जा शिष्य तक पहुंचती है। जब गुरु का हृदय और ऊर्जा जाग्रत होती है, तो वे न केवल शारीरिक रूप से बल्कि सूक्ष्म और कारण स्तर पर भी शिष्य की सहायता करते हैं। इस प्रकार, जब एक व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से जागृत होता है, तो उसकी तवज्जुह (ध्यान, शांति, ऊर्जा) दूसरों के लिए भी लाभकारी होती है, जैसा कि जीवित गुरु की उपस्थिति में होता है।
यह प्रक्रिया केवल शिष्य के शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक विकास के लिए नहीं, बल्कि गुरु के माध्यम से पूरे ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रवाह से संबंधित होती है, जो व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होने में मदद करती है।