आध्यात्मिक दुनिया मे गुरु को वही समझ सकता है जो गुरु के प्रति समर्पित हो और गुरु के कहे अनुसार जीवन यापन करता है और गुरुके द्वारा दिये ज्ञान पर अमल।कर अपना जीवन समर्पित भावना में जीता है उसके लिए जीवन भी गुरु और मौत भी आये तो वो भी गुरु को समर्पित केवल विस्वास समरपन ओर लगन एक शिष्य में होनी चाहिए
जिस तरह से अर्जुन शिष्य रूप में कृष्ण के प्रति समर्पित ओर विस्वास रखने वाले एक आज्ञाकरि शिष्य थे