इंसानी क़ल्ब (हृदय) की मिसाल एक किले जैसी है और शैतान एक ऐसा दुश्मन है जो हर वक्त उस किले पर हमला करके कब्जा जमाना चाहता है, और किले यानि क़ल्ब की हिफाज़त सिर्फ उसके बेदार (जाग्रत ) होने पर ही होना मुमकिन है। यानि परमात्मा का नूर ही उसकी हिफाज़त (सुरक्षा) कर सकता है।
जबतक बेदारिय क़ल्ब (हृदय जाग्रत) नही है उसमें अल्लाह (परमात्मा) का नूर नही है तबतक वह क़ल्ब (हृदय) शैतानी वसवसों से हसद और जलन से शहवत से महफूज़ नही है।