Written by sohamkendra No Comments इंसान का कल्ब़ एक लाख अस्सी हज़ार जालों से जकड़ा होता है, जिसको कोई कामिल जा़त यानि सतगुरु ही अपनी नज़रे कीमियां से जला देता है, और उसमे ईश्वर नाम बसा देता है, यही रूहानियत की शुरुआत है। Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Previous Story आज फिर जब मैं Next Story धर्म