ध्यान और योग: ध्यान के माध्यम से मन को शांत करना और आत्मा की गहराई में उतरना ब्रह्म को अनुभव करने का प्रमुख साधन है। योग के आठ अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) इस मार्ग को सरल बनाते हैं।
ज्ञान मार्ग: उपनिषद और गीता जैसे ग्रंथों का अध्ययन और आत्म-चिंतन व्यक्ति को ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाते हैं।
भक्ति और समर्पण: अपने अहंकार को छोड़कर ईश्वर या ब्रह्म में पूरी तरह समर्पित हो जाना व्यक्ति को उसके वास्तविक स्वरूप का अनुभव कराता है।
कर्मयोग: निष्काम भाव से कर्म करना और अपने कार्यों के फल को ईश्वर को समर्पित कर देना, आत्मा को ब्रह्म की ओर ले जाता है।