केवल्य की अवस्था:

यह सम्पूर्ण स्वतंत्रता की अवस्था है, जहाँ आत्मा न जन्म लेती है, न मृत्यु। वह अनंत शांति, आनंद और ज्ञान (सच्चिदानंद) की अवस्था में रहती है।

आत्मा किसी भी बंधन, दुख या मोह से मुक्त हो जाती है।

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