कोशिश तो बहुत की है मैंने खामोश रहने की

कोशिश तो बहुत की है मैंने खामोश रहने की

पर न जाने क्यों ये जबान  फिशल जाती है

ओर गुनाह कर बैठता हु ओर सोचता हूं ये क्या किया मैंने जो

जबान फिसल गई और गुनाह ही गया

फिर पश्चाताप ही मेरे लिए शेष रहता है

इसलिए हर शक्श से माफी मांग लेता हूं

ओर कहता हूं भाई गुनाह हो गया है  जो जवान फिसल गई माफ करदो

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