गुरु का स्मरण 24 घंटे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि मन स्वाभाविक रूप से विभिन्न कार्यों और विचारों में उलझा रहता है। फिर भी, इसे संभव बनाने के कुछ व्यावहारिक उपाय हैं:नित्य साधना: रोज़ाना एक निश्चित समय पर गुरु का ध्यान, नाम जप, या मंत्र जप करें। यह अभ्यास मन को गुरु के प्रति केंद्रित करता है और धीरे-धीरे स्मरण की आदत बनती है।कार्य में समर्पण: हर कार्य को गुरु के प्रति समर्पित करें। काम शुरू करने से पहले गुरु को याद करें और मानें कि यह कार्य उनके मार्गदर्शन में हो रहा है। इससे स्मरण कार्यों के बीच भी बना रहता है।स्मरण के संकेत: दिनभर में स्मरण को जीवंत रखने के लिए छोटे-छोटे संकेत बनाएं, जैसे गुरु की तस्वीर, एक मंत्र लिखा हुआ कागज़, या फोन पर रिमाइंडर। ये संकेत मन को बार-बार गुरु की ओर ले जाएंगे।नाम जप की आदत: गुरु के नाम या मंत्र का जप हर खाली पल में करें, जैसे यात्रा करते समय, खाना बनाते समय, या इंतज़ार करते समय। यह मन को भटकने से रोकता है।सत्संग और स्वाध्याय: गुरु के उपदेशों को पढ़ें या सुनें। इससे उनके विचार मन में रच-बस जाते हैं और स्मरण स्वाभाविक हो जाता है।भाव का विकास: गुरु के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव बढ़ाएं। जब हृदय में प्रेम होता है, तो स्मरण अपने आप बार-बार होता है, बिना प्रयास के।ध्यान की गहराई: दिन में कुछ पल शांत बैठकर गुरु के स्वरूप या उनके गुणों का चिंतन करें। यह स्मरण को गहरे स्तर पर ले जाता है, जो दिनभर प्रभावित करता है।मन की चंचलता स्वाभाविक है, इसलिए शुरुआत में स्मरण टूट सकता है। धीरे-धीरे अभ्यास से यह निरंतरता बढ़ती है। गुरु की कृपा और नियमित प्रयास से 24 घंटे स्मरण संभव हो सकता है।