आज जब उठा और मुह को धोने के लिए जैसे ही वाशवेसन के पास गया और मुह को धोने लगा ओर आईने की।ओर पलक उठा कर देखने लगा तो मन मे ग्लानि ओर पश्चाताप था जो चेहरे से आइने को साफ नजर आ रहा था
तभी आईना मेरी ओर नजर कर मुस्कराया ओर बोला क्यो आज ये मन मे पछतावा हो रहा है जो।हो गए कर्म उन पर मन को अफसोस ओर आत्मा को गहरा अंसतोष हो रहा है जानता हु मैं ओर समझता हूं तुम्हारे मन की व्यथा को की कुछ कर्म अनजाने में ओर कुछ कर्म तुमने जान बूझ कर किये होंगे कुछ अपने स्वार्थ वश तो कुछ घर की जिम्मेदारी के लिए लिए कुछ ओरो के भले के लिए सच की जगह झूठ में बोल होंगे शायद तू नही जानता मैं आइना हु आत्मा के जल से साफ होता हु ओर मेरी सच्चाई और तुम्हारी मन की बाते मैं जब ध्यान करता हु तो मुझे हर पल।हर बात की खबर रहती है झूठ और सच दोनों की खबर रखता हूं हर कर्म को तराजू में तोल फिर तुमसे कुछ कहता हूं जो निस्वार्थ से कर्म।किये होतर है उनको उसी क्षण माफ कर देता हूं पर जिनमे होता है निजी स्वार्थ उनको अपने मन के कम्प्यूटर में लिख लेता हूं और जब भी तुम।मेरे सामने आते हो उन को बता कर कह तुमको दे सजा ओर मैं खुश हो लेता हूं मत हो उदास ये जीवन का खेला है इसमें मिला होता है झूठ और सच का फल कर्मो का खाता है जानता हूं तुम।आज मन ही मन पछता रहे हो जो किया है गलत उसे सोच मन ही मन शर्मिंदा हो कर मन ही मन माफी चाह रहे हो, जानता हूं तुमने जिस स्वार्थ वश झूट ओर सच बोला है उसे बताने वाला आज अब कोई लौट कर नही आने वाला है इसलिए पछताओ ओर मन से आंसू बहाओ ताकि कुछ पश्चताप से पाप कर्म कम हो जाये जानते हो जो व्यक्ति अपने मन की बात गुरु को वमाता पिता और सहधर्मी को
बताते है आधे कर्म जो गुनाह के किये होते है उसी क्षण उनकी दुवा व प्रार्थना से माफ हो जाते है कुछ की सजा गुरु अवश्य देता है फासी की सजा को सुई की नोक की सजा में बदल देता है अगर उसके बाद भी कोई कर्म बाकी रहता है तो गुरु देव उसे अपने गुरु देव से कह कर माफ करवा देता है हो तुम भाग्यशाली जो तुम्हे जन्मदाता ही गुरु रूप में मिले है जानते हो माता पिता ही सब गुनाह माफ कर पुत्र को गुदड़ी का लाल बना देते है और अपने जीवन के अच्छे कर्मों का फल सब बेटे को दे देते है और सब कुछ सोप कर अलविदा कह देते है उस लोक जहां कोई नही जीते जी जा सकता उस लोक में बैठ कर अपने बेटे के सुख की कामना कर उसे अपने चरणों मे जगह दे देते है