जाहिर इल्म और बातिनी इल्म इस्लामी दर्शन और तत्त्वज्ञान में दो प्रमुख प्रकार के ज्ञान हैं।

  1. जाहिर इल्म (ظاهر علم):

इसे बाहर का ज्ञान भी कहा जाता है। यह वह ज्ञान है जो व्यक्ति अपने इंद्रियों और बाहरी अनुभवों से प्राप्त करता है। इसका संबंध शारीरिक और भौतिक दुनिया से होता है, जैसे कि विज्ञान, गणित, और अन्य संसारिक विषय।

उदाहरण के तौर पर, तर्क, भाषा, साहित्य, और इतिहास जैसी विषयों में जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह जाहिर इल्म कहलाता है।

  1. बातिनी इल्म (باطنی علم):

इसे भीतरी ज्ञान भी कहा जाता है। यह वह ज्ञान है जो व्यक्ति की आत्मा और हृदय से जुड़ा होता है। यह ज्ञान आध्यात्मिक, मानसिक, और धार्मिक पहलुओं से संबंधित होता है, और केवल साधना, ध्यान, या आंतरिक अनुभवों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

बातिनी इल्म का उद्देश्य आत्मा की शुद्धता और परमात्मा से जुड़ाव है। इस प्रकार के ज्ञान में धर्म, तंत्र-मंत्र, सूफीवाद, और अन्य आंतरिक साधनाओं का अध्ययन किया जाता है।

संक्षेप में, जाहिर इल्म बाहरी और भौतिक विषयों पर आधारित है, जबकि बातिनी इल्म आंतरिक, आध्यात्मिक और धार्मिक पहलुओं से संबंधित होता है।

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