जिंदगी मिली है तो हस हस के जीना है
जानता हूं कि एक दिन मौत
से गले मिलना है
ये सोच के चिंतित नहीं हूं कि
मौत किन परिस्तिथि में आएगी
पर चिंतित हु उस के दर मुझे
बिना दाग के जाना है
इसलिए जो।मिली है चादर मुझे
उसे सुबह गुरु देव के अर्पन
कर ओढ़ लेता हूं
दिन भर जो।कर्म करता हु उसे मालिक को बता
कर चैन की नींद चादर ढक
के सोलेता हु
ओर कहता हूं जो।भी किये है
कर्म वो तुझे अर्पण
मैं तो आया खाली हाथ था अब
तेरी दुवाओ से भर हाथ लौटना की खवाइश रखता हूं