मानव जन्म के बाद तीन व्यक्तियों का जीवन मे बहुत महत्व होता है प्रथम जन्म देने वाले माता पिता और उनके संस्कार दुतीय शिक्षा ग्रहण के लिए भौतिक गुरु जॉनको शिक्षित कर योग्य बनाता है और अंत मे आध्यात्मिक गुरु जो जीवन मुक्त होने जे लिए हमे प्रेम भक्ति ज्ञान ध्यान समाधि ओर हममें सतोगुण पैदा करवा के जीवन मोक्ष दिलवाता है हम जानते है कि माता पिता शिक्षक और आध्यात्मिक गुरु का सानिध्य ही हमे इस भोतिक जगत मे काबिल बना के इस कानील बना देता है कि हम समाज मे अपना अस्तित्व बना के जीवन जीते है और जीवन यापन कर ते है गुरु का सानिध्य ओर , प्रवचन, उनके जीवन जीने की शैली और समर्पण सहनशीलता व आशीर्वाद और अनुग्रह जिस व्यक्ति या शिष्य को जीवन मे भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि माता पिता और गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। इन्हीं की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है हम जानते है कि ढ़तात्मिक जगत के लिए सिर्फ गुरु ही भवसागर को पार कर पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिये आदर्श बनता है। उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनती है।