दूसरा जन्म

दूसरे साधकोंमें तो कमी भी रह सकती है और अन्तसमयमें अन्यचिन्तन, मूर्च्छा आदि किसी कारणसे साधनसे विचलित होकर वे योगभ्रष्ट भी हो सकते हैं, उनका फिर दूसरा जन्म भी हो सकता है; परन्तु भक्तमें कोई कमी रह जाय तो उसको दूर करनेकी जिम्मेवारी भगवान्‌की होती है । भगवान्‌ उस कमीको दूर कर देते हैं । अन्तसमयमें भक्तको किसी कारणसे भगवान्‌की स्मृति न रहे तो स्वयं भगवान्‌ उसको याद करते हैं । अतः भक्त योगभ्रष्ट नहीं होता, उसका दूसरा जन्म नहीं होता । इसलिये भगवान्‌ने भक्तियोगको सम्पूर्ण साधनोंसे और भक्तियोगीको सम्पूर्ण साधकोंसे श्रेष्ठ बताया है

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