देवी देवता क्या है ?
सदगुरु बताते है के इस ब्रह्मण में हम परमात्मा के बनाए हुए तरह तरह के जीव देखते है जैसे पेड़ पौधे कीट पतंग मछली जानवर मनुष्य आदि यह सब योनियां है जिसमें एक आत्मा जन्म लेती है । यह आत्मा अपने कर्मो अनुसार किसी भी योनि में जन्म लेती है । हर योनि का इस ब्रह्मांड में कुछ कार्य है जो वह करती है कीट पतंग जानवर सब मिलकर इस वातावरण को चलाते है कोई घांस खा के खत्म करता है तो कोई पेड़ पौधों के बीज फैलता है तो कोई खुशबू देता है तो कोई हमको खाने के लिए फल सब्जियां प्रदान करता है ।
यह तो वह योनियां है जो हमको दिखाई देती है परंतु ऐसी ही बहुत से योनियां है जो हमें दिखाई नही देती जिसका हम जिक्र सुनते है जैसे भूत प्रेत आदि ऐसे ही एक योनि है देवी देवता ।
देवी देवता भी ऐसी ही योनि है जिसका कार्य सृष्टि को चलाना है जैसे सूर्य देवता, अग्नि देवता, वायु, जल, पृथ्वी, सभी ग्रह, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सरस्वती इत्यादि । हमारे वेदों में लिखा है के ऐसे ३३ करोड़ देवी देवता है और यह ३३ करोड़ तब की संख्या है जब यह लिखा गया । देवी देवता की योनि की खासियत यह है के उनके पास शक्तियां है जिससे वह मानव का कल्याण और उसके भौतिक काम कर सकते है । देव योनि का हमारे जीवन में अच्छा और बुरा दोनो प्रभाव पड़ते है । अच्छा प्रभाव तो हम सब देखते ही है बुरा प्रभाव जैसे ग्रहों का हमारे जीवन में दुष्प्रभाव होता है ।
हम अगर किसी देवी देवता को खुश करते है तो वह अपनी शक्ति के अनुरूप हमारी सहायता करते है ।
देवी देवता हमे भौतिक सुख समृद्धि दे सकते है पर ईश्वर से साक्षात्कार नही करवा सकते वह सिर्फ गुरु करवा सकते है । इसका सीधा सीधा सबूत है के देवी देवताओं ने भी बृहस्पति को अपना गुरु बनाया मतलब उनको भी गुरु की जरूरत थी । वह भी गुरु के ज्ञान द्वारा ध्यान समाधि में उस परम पिता परमेश्वर को याद करके उसमे लीन रहते है जैसे हमने शिवजी के बारे में सुना पढ़ा है के वह ध्यान में रहते है । गुरु अगर हमको बहुत कुछ दे सकते है वह देवी देवताओं को भी दे सकते है । शास्त्रों मे मानव गुरु अलग और देव गुरु अलग नहीं लिखा गया वहां सिर्फ गुरु लिखा गया है और गुरु ब्रहाण्ड के किसी भी लोक में रह कर कार्य करते है । सदगुरु कहते है के देवी देवता भी पूर्ण गुरु से बहुत कुछ पाने की इच्छा में रहते है क्योंकि गुरु तो परमात्मा तुल्य है और वह उनको भी देने में सामर्थ्य रखते है ।
देवी देवता गुरु से बहुत कुछ चाहते है इसके बहुत उदहारण है जैसे विष्णु के अवतार श्री राम और कृष्ण ने जन्म लिया पर जन्म लेने के बाद भी उनको गुरु की जरूरत पढ़ी जिनसे उन्होंने ज्ञान पाया और पूर्ण हुए । उनको भी पूर्ण होने के लिए गुरु की जरूरत पड़ी गुरु के बिना नहीं हो सके जबकि वह स्वयं विष्णु के अवतार थे ।
जब देवी देवता भी गुरु से ही ज्ञान लेते है और हमारे पास गुरु है ही तो हमको देवी देवता से ऐसा क्या मिल सकेगा जो गुरु नही दे सकते यह सोचने और समझने की बात है ।
मैने कल भी लिखा था के गुरु तो परमात्मा के डिपार्टमेंट में काम करते है वह किसी भी देवी देवता से चाहे तो काम करवा लेंगे ।
मेरे शब्दों में गुरुदेव का यह प्रवचन शायद किसी को पढ़ने मे बुरा लग सकता है क्योंकि यह वह सत्य है जो हमने आजतक नहीं सुना या समझा और हमारी आजतक की सोच की नीव हिला सकता है पर यह सत्य है । मैं यहां कहना चाहूंगा के हम किसी देवी देवता का अनादर या उनके कार्यों को कम नहीं कर रहे फिर भी अगर आप इसे नही मानते और आपको बुरा लगे तो माफी चाहता हु ।
हमे सदगुरु के चरणों में जगह मिले जहां देवी देवता भी चाहत रखते है ऐसी ही प्रार्थना है ।