धर्म-धार्मिक-जीवन
धर्म से जुड़ने पर ही व्यक्ति धार्मिक बनता है। धार्मिक बनना ही बड़ी बात नहीं इंसान बनना बड़ी बात है। धर्म ही मानव में इंसानियत पैदा करता है और धर्म ही जीवन को सही दिशा देकर आत्मिक सुख की ओर ले जाता है।
एक सैनिक राष्ट्र सुरक्षा धर्म का पालन करता है तभी हम सुरक्षित रहते हैं। हमारा धर्म है सैनिकों और राष्ट्र सेवकों के सम्मान के साथ साथ अपने इष्ट, देव और गुरु का आदर करना और दिनचर्या में कुछ वक्त नियमित निकालकर उनका ध्यान करना।
यह आम धारणा बनती जा रही है कि बच्चों की पढ़ाई ज्यादा है समय नहीं है। परिवार में बच्चों को भी पांच 10 मिनट का नियमित पूजा ध्यान में बिठाने से जीवन के पांच दस साल या ज्यादा या कभी पूरा जीवन गुमराह होकर व्यर्थ होने से बच जाता है। यह नियमित व पांच दस मिनट बच्चों को पूरी तरह कमर्शियल या स्वार्थी बनने से बचाते हैं और उनमें अपने बड़ों के प्रति आदर सम्मान का भाव सदैव बना रहता है।
धर्म ही जीवन का आधार है। अपनाया धर्म ही जीवन को संचालित करता है।
यह ज्ञान होना जरूरी है कि हमारा धर्म क्या है मानवता या दौलत।
सबका मंगल हो।