एक साधक को गुरु के वताये समय के अनुसार अवश्य ही ध्यान में बैठना चाहिए क्योंकि गुरु के द्वारा बताये समय पर गुरु शिष्य को अपने साथ ध्यान में शामिल कर लेते है जिससे गुरु और शिष्य के मन मे एक निश्चित समय पर याद बनी रहती है
ध्यान की अवधि 30 मिनिट अवश्य होनी चाहिए
रात को 3 से 5 बजे के बीच एक बार अवश्य ही ईश्वर रूपी गुरु का ध्यान करे
जब भी खाली समय मिले गुरु के बारे में सोचे ओर उनको स्मरण करें
खाते समय गुरु को खाना अर्पण कर प्रसाद ग्रहण करे और शांति पूर्वक गुरु को स्मरण करते हुवे खाने का आनंद ले
रात को सोने से पूर्व एक बार अवश्य ही गुरु की स्मरण कर सोये ताकि ध्यान का प्रभाव आप पर बना रहे