ध्यान करने के लिए क्या एकांत में बिना सहारे कमर सीधी करके ही बैठना होता है ?

कुछ रोज से मन में सवाल उठ रहा था के ध्यान करने के लिए क्या एकांत में बिना सहारे कमर सीधी करके ही बैठना होता है ?

बार बार मनन करने पर यह निष्कर्ष निकला के हमने हर जगह पढ़ा है के ध्यान करते समय शरीर में ऊर्जा नीचे से ऊपर की ओर बढ़ती है और जब कभी कोई नली से कुछ भेजा जाए तो सीधी नली से बिना किसी रुकावट के जल्दी पहुंच्चती है मुड़ी हुई नली से थोड़ा धीरे पहुंचती है इसलिए सीधे बैठने से फायदा जल्दी होता है । 

परंतु एक और तरीका है ध्यान का वह है के जब गुरु शिष्य के मन में बस जाए और वह अपनी ऊर्जा से ध्यान करवाते है तब उनकी ऊर्जा के वेघ के कारण नली मुड़ी हो या सीधी ऊर्जा तेज ही बहती है और ध्यान 24 घंटे अपने आप होता रहता है और शिष्य अपने आप आगे बढ़ता रहता है ।

इस पद्धति के लिए जरूरत है सक्षम गुरु की और उनके प्रति समर्पण की फिर गुरु अपने आप शिष्य को सब करवा देते है उसे कुछ नहीं करना पड़ता ।

यह मेरे मन की उपज है जरूरी नहीं के सही हो ।

हम सब गुरु चरणों में समर्पण कर सकें ऐसी ही प्रार्थना करते हुए खुद को गुरु चरणों में समर्पित करते है ।a

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