नाद सुनने की प्रेक्टिस करने पर मन थकता नहीं है तथा आनन्द आता है। पंच तत्वो का अभ्यास व इन पर नियंत्रण से ही नाद से सिद्ध हो जाता है।
जब नाद सुनाई देने लगता है तब बिना कानों में अंगुली ड़ाले सहज ही उसे सुन सकते है। मन को हमेशा नाद सुनने में लगाये रखे यही सच्ची भक्ति है तथा मुक्ति का साधन है।