नाद ब्रह्म हजारो में से किसी एक गुरु के पास होता है..

अगर मेरी लिखी हुई कोई बात शिष्यो के समझ मे नही आती है तो वो मेरे पास आ कर पूछते  है जहां तक प्रश्न है शिष्य के हृदय जाग्रत का उसके लिए मैं यही।लिखूंगा नाद ब्रह्म हजारो में से किसी एक गुरु के पास होता है और वो इसे अपने सभी शिष्यो को जो।काबिल है उनके हृदय को जाग्रत कर देता है मेरे यहाँ आने वालों के 90 प्रतिशत लोगो।के हृदय जाग्रत ओर ऊर्जावान है और वे सभी इसी ऊर्जा के माध्यम से आगे बढ़ रहे है और उनमे गुरु के प्रति विस्वास है जिनमे विस्वास नही होता वो इस राह में आ नही सकते और आ भी जाये तो अविश्वास उनमे स्वम् जाग्रत हो।जाता है और वो गुरु को समझ नही।पाते और पीछे हट जाते है या आते ही नही है मैं ये नहीं कहता कि मेरे पास आने वाले मेरी बात को समझ ते नही है समझते सब है पर अभिमान वश कुव्ह नही कहते वैसे भी ये गुरु का  दायीतव्व है कि हर शिष्य पर निगाहे रखे और  उसे अपने जैसा बनाए मेरे पिताजी के पास  नाद ब्रह्म थी और है उन्हींके आशीर्वाद से ये सत्संग आज उच्च मुकाम।पर है और हर शिष्य नाद को जानता गया और उसके  ह्रदय में बसि हुई है और उस नाद प्रकाश के सहारे हि आज  उच्च अवस्था है नाद का ज्ञान पाना ओर किसी उच्च कोटि के पुरुष में होना ही एक आस्चर्य जनक बात है 

यू तो।किताबी ज्ञान हर जगह बिकता है पर किताबी ज्ञान को समझना और गुरु की मेहर से शिष्यो के हृदय जाग्रत होते है

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