बड़प्पन

लगता है नूर कुछ ऐसा तेरे चेहरे से

जब भी देखता हूं तो देखता ही रहता हूं

ओर तू कहता है कि कोई नूर नही

ये मेरी ही नासमझी है या तेरा  बड़प्पन

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