Written by sohamkendra No Comments आं बादशाहे-आलम दर बस्ता बूद महकम…….पोशीद दलक-आदम यअमी कि बर दर आमद!!! अनुवाद – “शहंशाहों के शहंशाह ने शरीर के अंदर बैठकर मजबूती से दरवाजा बंद किया हुआ है। फिर वह खुद ही इन्सानी जामा पहनकर (कामिल-मुर्शिद यानि सद्गुरु का रूप लेकर) उसे खोलने आता है।” Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Previous Story सूरज और चांद Next Story गुरु की याद