बादशाहे-आलम

आं बादशाहे-आलम दर बस्ता बूद महकम…….पोशीद दलक-आदम यअमी कि बर दर आमद!!!

अनुवाद – “शहंशाहों के शहंशाह ने शरीर के अंदर बैठकर मजबूती से दरवाजा बंद किया हुआ है। फिर वह खुद ही इन्सानी जामा पहनकर (कामिल-मुर्शिद यानि सद्गुरु का रूप लेकर) उसे खोलने आता है।”

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