मनुष्य

मनुष्य नदी को दो प्रकार से पार कर सकता है, तैरकर और नाव मै बैठकर!इस भवसागर से पार होने मै भक्ति और ज्ञान दो साधन है!ज्ञानी तैरकर जाता है, उसके लिये यह डर रहता है की कही बीच मै ही न डूब जाऊ!किन्तु भक्त को डूबने का डर नहीं होता, क्योंकि वह तो जिस नौका से नदी पार करता है उस नौका को सद्गुरु चला रहे है!

सामान्य स्थिति से ऊपर किसी भी प्रकार की विशेष स्थिति को संसार में लिप्त रहते हुए नहीं पाया जा सकता।

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