मन पर नियंत्रण कैसे करे और विकार रहित कैसे हो मोह-माया से विरक्ति प्राप्त करने के लिए भारतीय दर्शन, विशेष रूप से योग और वेदांत के सिद्धांत, कुछ व्यावहारिक और आध्यात्मिक उपाय सुझाये गए है जो निम्न तरह से है ये हमारी मदद कर सकता हम विकार रहित बने। निम्न बिंदु इस दिशा में मदद कर सकते हैं:1. आत्म-जागरूकता और ध्यान (Meditation and Self-Awareness)ध्यान अभ्यास: नियमित ध्यान मन को शांत करता है और विचारों पर नियंत्रण बढ़ाता है। प्रारंभ में 10-15 मिनट का ध्यान शुरू करके इसे 45 मिनिट तक एक बार मे कर सकते है , ।स्वाध्याय: अपने विचारों और भावनाओं का अवलोकन करें। भगवद्गीता में कहा गया है कि मन को आत्मा के अधीन करना चाहिए। यह आत्म-निरीक्षण से संभव है स्वम् से ।प्रश्न करें: किन”मैं कौन हूँ?” यह वेदांती प्रश्न आपको आपकी वास्तविक प्रकृति (आत्मा) से जोड़ता है, जो मोह-माया से परे है। इसके बाद वैराग्य का विकास होना होता है जो मोह-माया का स्वरूप है इसे हम।इस तरह से जान सकते है कि हमारे भौतिक जवाब में मोह-माया क्षणिक सुखों से बंधा है।इसके लिए भगवद्गीता कहती है कि सुख-दुख आते-जाते हैं, इनका स्थायी स्वरूप नहीं है। इस सत्य को बार-बार स्मरण करने पर ये विचार मस्तिष्क में कम आएगा और हम इससे दूर होते जाएंगे अब हम आसक्ति कम करें: वस्तुओं, रिश्तों या परिणामों से अत्यधिक आसक्ति न रखें। कर्मयोग के अनुसार, कर्म करें लेकिन फल की इच्छा त्याग दें।सादगी अपनाएं: भौतिक सुखों की लालसा कम करने के लिए सादा जीवन जिएं। आवश्यकताओं को सीमित करें कर्मयोग और निष्काम कर्मअपने कर्तव्यों को ईश्वर को समर्पित करें। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, “सभी कर्म मुझे अर्पण कर, आसक्ति छोड़कर युद्ध कर।” इससे मन फल की चिंता से मुक्त होता है।कर्म को साधना बनाएं: हर कार्य को पूजा की तरह करें, बिना स्वार्थ के। सभी कर्म।करे और . सत्संग हमको सकारात्मक और लोगों का साथ मन को उच्च विचारों की ओर ले जाता है। संतों के उपदेश सुनें, जैसे स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, या अन्य गुरुओं के।सत्साहित्य: भगवद्गीता, उपनिषद, रामचरितमानस, या योगवासिष्ठ जैसे ग्रंथ पढ़ें। ये ग्रंथ मन को स्थिर करने और मोह-माया से मुक्त करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं फिर आता है प्राणायाम और शारीरिक अनुशासनप्राणायाम: नाड़ी शोधन, भ्रामरी, या कपालभाति जैसे प्राणायाम मन को शांत करते हैं और एकाग्रता बढ़ाते हैं।आसन और योग: नियमित योगाभ्यास शरीर और मन के बीच संतुलन बनाता है। यह तनाव और व्याकुलता को कम करता है अब आता है ईश्वर भक्ति और समर्पणभक्ति योग के माध्यम से ईश्वर में मन लगाएं। भजन, कीर्तन, या प्रार्थना मन को शुद्ध करते हैं और मोह-माया से मुक्ति दिलाते हैं।ईश्वर को सब कुछ समर्पित करें। यह भावना मन को हल्का करती है और संसार की चिंताओं से मुक्त करती है।7. नियमित अभ्यास और धैर्यमन पर नियंत्रण और वैराग्य एक दिन में नहीं आता। इसके लिए निरंतर अभ्यास और धैर्य चाहिए।छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, जैसे दिन में कुछ समय मौन रहना, क्रोध या लोभ पर नियंत्रण करना, आदि। सांसारिकता से दूरीअनावश्यक भौतिक चीजों और व्यर्थ की चर्चाओं से बचें। सोशल मीडिया और मनोरंजन का उपयोग सीमित करें।प्रकृति के साथ समय बिताएं, जो मन को शांति देती है।व्यावहारिक सुझाव:दिनचर्या बनाएं: सुबह जल्दी उठें, ध्यान करें, और दिन की शुरुआत सकारात्मक विचारों से करें।संकल्प लें: रोज एक संकल्प लें, जैसे “आज मैं क्रोध नहीं करूंगा” या “आज मैं किसी की मदद करूंगा।”आभार व्यक्त करें: जो आपके पास है, उसके लिए आभार प्रकट करें। इससे लालसा कम होती है। ओर “विषयों का चिंतन करने से आसक्ति पैदा होती है, आसक्ति से कामना, और कामना से क्रोध, जो अंततः बुद्धि का नाश करता है।”उपनिषद: “आत्मा को जानने वाला ही मोह-माया से मुक्त होता है।”इन उपायों को नियमित रूप से अपनाने से मन धीरे-धीरे नियंत्रित होगा और मोह-माया से विरक्ति बढ़ेगी। यदि आप किसी विशेष पहलू पर गहराई से जानना चाहते हैं, जैसे ध्यान की तकनीक या कोई ग्रंथ, तो बताएं।