तो हु उन संतो का दास जिनने मर मार लिया
यानी अपने मन पर काबू पा लिया उनको इस संसार से कोई लेना देना नही उनके लिए तो उनके गुरु ही इस दुनिया मे भगवान है और ऐसे गुण मेरे पिताजी में थे उनके लिए दुनिया कोई महत्व नही रखती थी यदि उनके जीवन मे कोई असल में महत्व रखता था तो वो थे ईश्वर रूप में उनके गुरु देव महात्मा राधा मोहन लाल जी आधोलिया जो कि महात्मा रघुवर दयाल जी आधोलिया के पुत्र थे और उच्च कोटि के फ़क़ीर यानी विशुद्ध महात्मा संत ओलिया केवली वीतरागी परमहँस थे
हर व्यक्ति मन की शांति और मन मे सकून पाने के लिए या तो किसी साधु महात्मा की तलाश करता है जो उसे मन की शांति दिलवा सके और भक्ति ज्ञान और ध्यान के बारे में पूर्ण जानकारी दे उसे समझा सके इसके अलावा हमारे मन मे एक ओर ख्याल आता है वह मंदिर मस्जिद दरगाह गुरुद्वारे ओर चर्च या मठो में जाकर वहां पर रहने वालों।लोगो से इन तीर्थ स्थ् ल की जानकारी प्राप्त करे और वेदों और शास्त्रों में दिए गए ज्ञान के द्वारा अपने को शिक्षित करे या फिर इन स्थानों पर उपलब्ध ज्ञानी जनो से धर्म संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान को उनके सानिध्य में रह कर प्राप्त करे
मैं भारत स्तिथ अनेक मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे चर्च दरगाह मठ ओर अनेक संतो के बनाये समाधि स्थल पर अध्यात्मिक उर्जा पाने के लिए इन तिरथ स्थलों पर गया और वहां पर बैठ कर शांति और अद्यतयामिक तववजुह पाने के लिए पूजा अर्चना ओर उनको मन और आत्मा से याद कर उनसे तववजुह देने की प्रार्थना की पर 3 या 4 जगह मुझे अवश्य तवज्जुह मिली और उन स्थानों पर जाकर मन को शांति और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली उन स्थानों के बारे में जब ओर अधिक जानकारी प्राप्त की तो पता लगा इन स्थानो पर पुजा अर्चना जिनमे सत्संग या ध्यान या भजन वहां पर उनके संचालक के द्वारा नियमित आध्यात्मिक ज्ञान जिसमे पूजा अर्चना ध्यान व प्रवचन होते है मुख्यतया ये पाया गया जो इस बात को इंगित करता गया कि उस स्थान का मूल्य वहां पर कार्यरत शिष्यो के कारण उनमे उतपन्न ऊर्जा से ये स्थान जाग्रत है और मन को शांति देते है और इन स्थानों पर पुनः जाने और कुव्ह पाने कि तमन्ना हमेशा मेरे दिल मे बनी रही मैने कुछ ऐसे स्थानों के दर्शन किये जहां आध्यात्मिक संतो के समाधि बनी हुई थी पर वहां जाने पर वह शांति नही मिली जो कुछ स्थानों पर मिली थी