माँ काली: संहार से मुक्ति तक का दिव्य पथ

देवी काली हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली और जटिल देवी हैं, जो शक्ति, संहार, परिवर्तन और मुक्ति की प्रतीक हैं। उनका महत्व आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से अत्यंत गहन है। निम्नलिखित बिंदुओं में देवी काली के महत्व को समझा जा सकता है: संहार और परिवर्तन की प्रतीककाली का रौद्र रूप अज्ञानता, अहंकार और बुराई के विनाश का प्रतीक है। वे माया (भ्रम) और आसक्ति को नष्ट करती हैं, जो साधक को आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है।उनका भयावह स्वरूप यह दर्शाता है कि परिवर्तन और नवीकरण के लिए पुराने का विनाश आवश्यक है। यह जीवन के चक्रीय स्वभाव को प्रकट करता है। महाकाल की शक्ति और शिव की शक्तिकाली को भगवान शिव की शक्ति (शक्ति) के रूप में देखा जाता है। वे समय (काल) की स्वामिनी हैं और महाकाल (शिव) के साथ मिलकर सृष्टि के संतुलन को बनाए रखती हैं।पौराणिक कथाओं में, काली का उद्भव दुष्ट राक्षसों (जैसे रक्तबीज) के वध के लिए हुआ, जो उनके संहारक स्वरूप को दर्शाता है। आध्यात्मिक मुक्तिकाली भक्तों को भौतिक बंधनों और माया से मुक्त करने वाली माता हैं। उनका काला रंग अनंतता और अज्ञानता के अंधकार को अवशोषित करने की शक्ति का प्रतीक है।साधक काली की उपासना आत्म-शुद्धि, भय पर विजय और आत्मज्ञान के लिए करते हैं। वे भक्तों को साहस और दृढ़ता प्रदान करती हैं। मातृत्व और करुणाकाली का भयावह रूप भक्तों के लिए ममता और करुणा से भरा है। वे माता के रूप में अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें भयमुक्त करती हैं।उनके उग्र स्वरूप के पीछे एक ममतामयी मां का स्वरूप छिपा है, जो भक्तों को गलत मार्ग से बचाती है प्रतीकात्मकताकाला रंग: अनंतता, शून्य और अज्ञानता के अंधकार को अवशोषित करने की शक्ति।जीभ और खड्ग: जीभ अहंकार के नाश और खड्ग (तलवार) अज्ञानता को काटने का प्रतीक है।मुंडमाला: यह सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मा की अमरता को दर्शाता है।नृत्य: काली का तांडव-नृत्य सृष्टि और संहार के चक्रीय स्वभाव को दर्शाता है, जो शिव के तांडव से संनादति है. सांस्कृतिक और सामाजिक महत्वकाली की पूजा विशेष रूप से बंगाल, असम और ओडिशा में प्रचलित है। दीपावली के अवसर पर काली पूजा विशेष रूप से की जाती है।वे नारी शक्ति की प्रतीक हैं, जो समाज में स्त्री की उग्रता, सृजनशीलता और स्वतंत्रता को दर्शाती हैं।काली तंत्र साधना में भी महत्वपूर्ण हैं, जहां वे चेतना के जागरण और कुंडलिनी शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। तंत्र और योग में महत्वतंत्र शास्त्र में काली दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो ज्ञान और शक्ति की अधिष्ठात्री हैं।योग और तंत्र साधना में काली की उपासना चक्रों को जागृत करने और आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित करने के लिए की जाती है।निष्कर्ष:देवी काली का महत्व केवल उनके संहारक स्वरूप तक सीमित नहीं है; वे सृजन, रक्षा, परिवर्तन और मुक्ति की प्रतीक हैं। उनका भयावह रूप हमें यह सिखाता है कि जीवन में परिवर्तन और विनाश अनिवार्य हैं, लेकिन ये मुक्ति और नवसृजन के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। काली की उपासना भक्तों को भय, अहंकार और अज्ञानता से मुक्त कर आत्मज्ञान की ओर ले जाती है। वे शक्ति, करुणा और अनंतता का एक अनूठा संगम हैं, जो जीवन के गहन सत्य को उजागर करती हैं। मेरे बड़े भाई श्री कृष्ण कुमार गुप्ता कहते थे वो मा काली के भक्त रहे है पिछले जन्म।में ओर मा काली उनको साक्षात्कार नजर आती थी मैं भी मा काली में पूर्ण आस्था रखता हूं और इस जन्म में सूक्ष्म शरीर से मा काली के दर्शन कर के आता हूं छोटा गेट खंबे लगे चबूतरा ओर छोटे कमरे मा विराज मान पिताजी जैसे गुरु मिलने के बाद भी आज भी।मा काली।की।कृपा मुझ पर है और मेरी शक्ल जब लोग बचपन मे देखते थे मुझे बंगाली कहते थे किसी जन्म मै मा से नाता रहा है और आज भी गुरु भक्ति के साथ हनुमानजी व मा काली में असीम आस्था है और मन्दिर में उनके दरशन करने अक्सर ध्यान में जाता हूं नमन

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