रामायण आत्मा की दृष्टि से: घट के भीतर की यात्रा

घट रामायण संत तुलसीदास द्वारा रचित एक रहस्यमयी और गूढ़ आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसमें आत्मा और परमात्मा के मिलन की प्रक्रिया का वर्णन रूपक शैली में किया गया है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से संत-परंपरा, विशेषकर कबीर पंथ में अत्यंत लोकप्रिय है। इसे “अंतर्ज्ञान की रामायण” या “आध्यात्मिक रामायण” भी कहा जाता है।

घट रामायण का सार:

  1. घट (शरीर) ही राम का धाम है
    – घट रामायण यह बताती है कि भगवान राम बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि इस मनुष्य-शरीर (घट) के भीतर ही वास करते हैं। आत्मा के भीतर परमात्मा को जानने की बात की गई है।
  2. आत्मा और परमात्मा का मिलन
    – इसमें सीता आत्मा का प्रतीक हैं, राम परमात्मा का, और रावण अज्ञानता, अहंकार और माया का। रावण से युद्ध आत्मा की माया और अज्ञान से लड़ाई है।
  3. नाम जप और साधना की महत्ता
    – नाम-स्मरण (राम नाम) को सबसे बड़ा साधन बताया गया है, जिससे आत्मा परमात्मा से मिल सकती है। यह भीतर की यात्रा का मार्ग खोलता है।
  4. गुरु की आवश्यकता
    – घट रामायण में गुरु को ईश्वर तक पहुँचने का मार्गदर्शक माना गया है। बिना गुरु के आत्मबोध संभव नहीं।
  5. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कथा
    – राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान आदि सभी पात्रों को अंतर्मन की शक्तियों और अवस्थाओं का प्रतीक माना गया है।

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