वैराग्य उम्र का मोहताज नहीं होता, बल्कि यह आत्मिक अनुभूति और जीवन के प्रति एक गहरी समझ से उत्पन्न होता है। कई बार युवा अवस्था में भी व्यक्ति वैराग्य को धारण कर लेता है, और कई लोग वृद्धावस्था तक भी सांसारिक मोह में उलझे रहते हैं।
वैराग्य का अर्थ केवल संसार से दूर होना नहीं, बल्कि संसार में रहते हुए भी उससे अप्रभावित रहना है। यह एक मानसिक अवस्था है, जहां व्यक्ति सुख-दुख, लाभ-हानि, मोह-माया से ऊपर उठकर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है।