शरीर का धर्म

शरीर प्रकृति के नियमों के अधीन होता है। उसे भोजन, जल, नींद और स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। शरीर कर्मों के माध्यम से कार्य करता है और भौतिक संसार से जुड़ा होता है।

  1. आत्मा का धर्म – आत्मा शुद्ध, शाश्वत और दिव्य होती है। उसका धर्म प्रेम, शांति, आनंद और ज्ञान है। आत्मा सच्चे सुख और मुक्ति की खोज में रहती है, जो इसे भौतिक इच्छाओं से परे ले जाती है।
  2. ईश्वर का धर्म – ईश्वर का धर्म सत्य, करुणा और न्याय है। वह समस्त सृष्टि का पालनकर्ता, रक्षक और मार्गदर्शक है। ईश्वर न किसी से पक्षपात करता है और न ही किसी पर अन्याय करता है।

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