जिन शिष्यो के गुरुके द्वारा शक्तिपात के बाद भी हृदय जाग्रत नही हुआ यानी उनके अंदर शक्ति का अहसास दिल मे नही हुआ और ऊर्जा का अनुभव नही हुआ वो लोग काबिल नही बन सके ओर जिनको हृदय जाग्रत हो उनको शक्ति रूपी गुरु की ऊर्जा का महसूस दिल मे हुवा ओर मस्तिष्क को लगा कि उनमें कुछ ऊर्जा आई है जो उर्धगति से दिल के पास क्षेत्र यानी कंधे ओर उसके ऊपर वाले हिस्सो में ऊर्जा के गमन को महसूस करते है वो जिंदा इंसान है यानी उनमे आध्यात्मिक बीज लग गया है जो धीरे धीरे उपजाऊ हो रहा है