सच्चे गुरु सांसारिक मोह-माया से परे होते हैं। उन्हें प्रभावित करने का एकमात्र तरीका प्रेम, श्रद्धा, भक्ति, समर्पण और सेवा ही है। जब शिष्य निःस्वार्थ भाव से समर्पित होता है, तभी गुरु की कृपा प्राप्त होती है। यह मार्ग आत्मिक उन्नति का है, जहाँ बाहरी आडंबर नहीं, बल्कि हृदय की पवित्रता ही मुख्य होती है।