कामिल मुर्शिद (सतगुरु) वोह होता है, जिसके अंदर अल्लाह (परमात्मा) का वजूद होता है।
ओर कामिल मुरीद वह होता है जो अपने गुरु के प्रति समर्पित ओर अपने दिल।मे गुरु को बसा के रखता गई और उनके निर्देश का पालन करता है और उनके कहे अनुसार अनुसरण करता है उसमें क्रोध लोभ मोह ईर्ष्या द्वेष घमंड ओर अहंकार के बीज उतपन्न नही होते वो तो गुरु के प्रति पूर्ण त्या निर्भर रहता है यानी गुरु की रजा में ही शिष्य की रजा है