सद्गुरु की कृपा: आत्मिक यात्रा का प्रकाश

खोजत खोजत जीवन बीता
खोजत-खोजत जीवन बीता,
बड़े भाग्य से सद्गुरु पाना ।
घर परिवार जगत सब बिसरे,
सदगुरु मुझको भूल न जाना।।

गुरु चिंतन में ध्यान लगे बस,
भजन कीर्तन में रम जाऊं ।
गुण दोषों से मिले विरक्ति,
भव बंधन से मुक्ति पाऊं ।
सूर्य चंद्र सब वैभव फींके,
कोऊ नहिं सद्गुरु समाना ।
खोजत-खोजत जीवन बीता,
बड़े भाग्य से सद्गुरु पाना ।।

खिलूं पुष्प की भांति निरंतर,
दसों दिशा हो जायें सुगंधित ।
भागीरथी बने यह जीवन,
परहित में हो जाए समर्पित ।
अगम-निगम का भेद मिटावें,
गुरू कृपा से लगे सुहाना ।
खोजत-खोजत जीवन बीता,
बड़े भाग्य से सद्गुरु पाना ।।

धीरज क्षमा नियंत्रण मन में,
सत्य साधना हो चिंतन में ।
सत्य शिवम सुंदर हो दृष्टि,
लगन रहे नित गुरु चरनन में ।
गुरू प्रेम शंकर है शाश्वत,
गुरू ब्रह्म ही सत्य खजाना ।
खोजत खोजत जीवन बीता,
बड़े भाग्य से सद्गुरु पाना ।।

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