समाधि में अंतिम पड़ाव को समझने के लिए, पहले यह जानना जरूरी है कि समाधि क्या है। समाधि एक गहन मानसिक और आत्मिक अवस्था है, जिसे ध्यान और योग की प्रथाओं में प्राप्त किया जाता है। यह स्थिति पूर्ण मानसिक शांति और आत्मज्ञान की होती है। समाधि के अंतिम पड़ाव या अंतिम अवस्था को अक्सर निम्नलिखित तरीकों से समझा जाता है:अद्वितीयता की अनुभूति: समाधि के अंतिम पड़ाव में व्यक्ति अपने और ब्रह्मांड के बीच की हर भेदभाव को समाप्त कर देता है। यहाँ, व्यक्ति अद्वितीयता की स्थिति को अनुभव करता है, जहाँ वह अपने स्वयं के अस्तित्व और ब्रह्मांड की संपूर्णता के साथ एकता का अनुभव करता है।निर्विकल्प समाधि: इसे निर्विकल्प समाधि भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति पूरी तरह से मानसिक चंचलता और द्वंद्वों से मुक्त हो जाता है। यहाँ केवल शुद्ध चेतना और ब्रह्मा का अनुभव होता है, और व्यक्तिगत पहचान और अनुभव की सभी सीमाएँ मिट जाती हैं।पूर्ण आत्मज्ञान: अंतिम समाधि अवस्था में, व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त होता है। वह जानता है कि वह ब्रह्मा, शिव, या अन्य किसी भी रूप में जो कुछ भी ध्यान केंद्रित करता है, वह स्वयं का ही रूप है।मुक्ति (मोक्श): समाधि की अंतिम अवस्था को मोक्ष या मुक्ति का भी दर्जा दिया जाता है। इसमें व्यक्ति जीवन और मृत्यु के चक्र से पूरी तरह मुक्त हो जाता है। यह स्थायी शांति और आत्मिक स्वतंत्रता का अनुभव है।अवधि का समाप्ति: इस अंतिम पड़ाव पर, समय और स्थान का भेद मिट जाता है। व्यक्ति समय के पार जाकर एक शाश्वत स्थिति का अनुभव करता है।समाधि का यह अंतिम पड़ाव एक अत्यंत उन्नत और गहन आध्यात्मिक अवस्था को दर्शाता है, जिसमें व्यक्ति को पूर्ण रूप से आत्मज्ञान और शांति का अनुभव होता है।