- सरलता:
इसे किसी भी समय, किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। - कोई प्रयास नहीं:
इसमें मन को शांत करने के लिए बलपूर्वक प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है। - साक्षी भाव:
विचारों और भावनाओं को देखने और स्वीकार करने की प्रक्रिया। - स्वाभाविकता:
मन धीरे-धीरे अपनी स्वाभाविक शांति और स्थिरता में लौट आता है।