जो इंसान माता पिता की खुशी के लिए सांसारिक मोह त्याग कर वीतरागी बन जाता है वह माता पिता कीदुवा से आध्यात्मिक मुकाम।पर पहुव्ह जाता है और माता पिता के आशीर्वाद से उसके जीवन मे अनेक गुरु आते है और आध्यात्मिकता के शिखर पर पहुचाने में उसे अपनी तववजुह दे उसे ईश्वरीय प्रेमी बन देते है जो रूहानियत की परिकाष्ठा होता है