सूरज थकता नहीं, चांद थकता नहीं और हमारा मन भी थकता नहीं। सूरज और चांद एक दिशा में चलते हैं हमारे मन को भी एक निश्चित दिशा में चलाएं तो जीवन मैं संतोष भी होगा खुशियां भी होगी और जीवन सफल भी होगा।
मन जब गुरु सिमरन में लगकर निर्मल हो जाए तो वह सही मायने में आयना बन जाता है जैसा भाई साहब कहते हैं।
आयना ही वह माध्यम है जो नित्य हमें अपनी कमियों का एहसास करा देता है और सही बढ़ रहे हो तो आत्म संतोष की झलक भी दिखा देता है।
निर्मल आयना भी गुरुदेव का आशीर्वाद रूप है।
सादर नमन।