मेरे पिता डॉक्टर चंद्र गुप्ता जी महात्मा राधा मोहन लाल जी आधोलिया के परम शिष्य रहे और उन्हें ओर महात्मा रामचंद्र जी के परम शिष्य ठाकुर राम सिंह जी का सानिध्य मिला पिताजी जमाली ओर जलाली डोंयो तरह के स्वभाव के जिंदा दिल मालिक थे उन्होंने जो आध्यात्मिक संस्कार दिए वही मेरी माँ जो कि नगर सेठ छजजु लाल मित्तल की बेटी थी स्वम के पिता पूर्ण भक्त और गुरु भक्त होने के कारण मा में आध्यात्मिकता कूट कूट के भारी हुई थी पिता के संस्कार के कारण आध्यात्मिकता की उच्च छोटी पर स्तिथ थी उनका बयान करना मुश्किल है और परिवार के सभी सदस्य हम 7 भाई बहिन को जो आध्यात्मिक संस्कार दिए वो आआज एक मिसाल है और आज सभी सदस्य एक उच्च शिखर उच्च पद पर आसीन है और सत्संग के द्वारा पिताजी का नाम रोशन कर रहे है उन्होंने अपने जीवन मे 21 सत्संगियों को शिष्य बनाया और एक अलग से 13 अगस्त को मेरी पत्नी श्रीमती कमलेश गुप्ता को शिष्य बना कर तववजुह दी ओर कहा तेरी जिम्मेदारी मेरी है मैं सभी भाइयो में निम्न स्तर पर था पर पिताजी के दिये आशीर्वाद ने मुझे प्रेरणा दी और निम्न स्तर पर होते हुवे भी माता पिता की स्मृति में एक आश्रम तैयार किया जिसका नाम पिताजी वसीयत में लिखे अनुसार अपने आप सोहम ध्यान योग केंद्र हो गया ये श्यामपुर तहसील बस्सी जिला जयपुर में है और 50 से अधिक उनके चाहने वालो।को जमीन दिलवा कर सोहम द्धर्म के रूप में स्थापित है पिताजी के बनाये शिष्य
श्री भारत भूषण शर्मा
स्वर्गीय बिमल नाथ खन्ना
श्री दिनेश मोहनोत
श्रीमती केशव गोयल
डॉक्टर अन्नत कोटिया
स्वर्गीय कृष्ण शुक्ला
श्री शिव पल सिंह
स्वर्गीय ऐन ऐस .यादव
स्वर्गीय दुर्गादान चरण
स्वर्गीय प्रेम जी
स्वर्गीय रमेश चंद राजोरिया
स्वर्गीय भंडारी जी इंसोरेंस वाले
स्वर्गीय रतन लाल जी
स्वर्गीय श्री ग्यारसी लाल
स्वर्गीय संजय मिश्रा
श्री शैलेन्द्र झा
श्री कीर्ति मलोहतरा सत्संग छोड़ गए प्रेम जी साथ ही 1991 में
श्री अशोक गुप्ता व शरमाती अशोक गुप्ता देहली में अब डोंनो ने डॉक्टर दिनेश जी शिष्य बन गए
श्री ऋतु राज जी
अंत मे बालक रूप में ऋषभ जयपुरिया को तवज्जुह दे उनको ब्रह्म राक्षक से मुक्त करवाया लेकिन अब वो नही मानते ओर इंग्लैंड में है
इस तरह से आआज जीवित शिव पल सिंहरूप में ओर कार्यरत सत्संगके निम्न रह गए
1 ऋतु राज जी
2 शिव पाल सिंह जी कानपुर में रहते है
ये अब सेठी कॉलोनी शायद ध्यान करने आते हो
1 श्री भारत भूषण जी
2श्री दिनेश म् हणोत
3 श्रीमती केशव गोयल
4श्री अनन्त कोटिया
पिताजी के द्वारा बनाये गए शिष्यो में से
4 आज भी कार्यरत है
5 सदस्यों ने सत्संग छोड़ दिया
10 सदस्यों की मर्त्यु हो चूको
2 सदस्य कभी कभी भंडारे में शामिल होते है
जो 4 सदस्य आआज भी अर्जुन की तरह विशाल पेड़ बन के खड़े है वह है सर्व श्री भारत भूषण जी श्री दिनेश मोहनोत डॉक्टर अनंत कोटिया व श्रीमती केशव गोयल इन चार में जो गुण मुझे नजर आए एक सेवक होने के नाते वो ये है
1 निष्ठावान ओर आज्ञाकारी
ये अपने गुरु के प्रति समर्पित ओर आज्ञाकारी है
2नैतिक व धार्मिक
ये पूर्णतया नैतिक और धर्म केपालक है
3 कर्मयोगी
अपने गुरु द्वारा दी गई आज्ञा को पालन करते है और गृहस्थ धर्म का नैतिकता से पालन करते है और गुरु में विस्वास के कारण अडिग है
4 ध्यान व तपश्या
नियम पूर्वक ध्यान भक्ति साधना और कर्म करते है और पूर्ण विस्वास के साथ गुरु के प्रति समर्पित है
उपरोक्त लेख की प्रेरणा पिताजी से प्राप्त हुई व आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन लिखने का अवसर मिला पिताजी के द्वारा श्री भारत भूषणजी को संत पद की पदवी दी गई
पवन कुमार गुप्ता
पिताजी के परिवार में से स्वम् पिताजी मा बहिन पुष्प लता बड़े भाई कृष्ण कुमार व अशोक कुमार गुप्ता आआज इस दुनिया मे नही है जो इस वक़्त जीवित है उनमें श्रीमती कमला गुप्ता पवन कुमार गुप्ता राजेन्द्र कुमार गुप्ता व सतीश कुमार गुप्ता जीवित हैएवम सतीश जी दिनेशजी सत्संग को आगे बढ़ रहे है भाई राजेन्द्र जयपुर से दूर होने के कारण सत्संग तो संभाल रहे और अपने लेखन से किताबे लिख कर अनमोल आध्यात्मिक ज्ञान किताबो के लेखन के द्वारा दे रहे है और मैं मालवीय नगर में सत्संग को संभालता हु ओर सोहम ध्यान योग केंद्र से जुड़े 500 सदस्यों के लिए आध्यात्मिता को सिखाता हु सोहम ध्यान योग केंद्र माता पिता को समर्पित है जहां सत्संग का आयोजन होता रहता है और गुरु पूर्णिमा पर विशेष आयोजन होता है जिसमे 500 से अधिक सदस्य आते है