6 तत्त्वों के माध्यम से परमात्मा और आत्मा का संगम: शुद्ध चेतना की ओर मार्गदर्शन

“परमात्मा 6था तत्व” का संदर्भ हिंदू दर्शन के सिद्धांतों से लिया गया है, जिसमें परमात्मा (Supreme Soul) और तत्त्व (elements or principles) की बात की जाती है। यह 6 तत्त्व समग्र अस्तित्व की समझ को प्रकट करने में मदद करते हैं, और इस अवधारणा में जीवन, ब्रह्मांड और आत्मा के परम तत्वों की व्याख्या की जाती है।

यहां पर 6 तत्त्वों के बारे में एक सामान्य विवरण दिया गया है:

  1. पुरुष (Purusha): यह तत्त्व शुद्ध चेतना को व्यक्त करता है, जो नितांत निराकार और शाश्वत है। यह आत्मा का परम रूप है और सृष्टि से परे होता है।
  2. प्रकृति (Prakriti): यह कुदरती शक्ति है, जो सम्पूर्ण भौतिक जगत और मानसिक तत्वों की उत्पत्ति करती है। यह तीन गुणों (सत्व, रजस, तामस) से बनी होती है, जो सृष्टि के प्रत्येक घटक में उपस्थित होते हैं।
  3. महत (Mahat): यह बौद्धिक तत्व है, जो निर्णय लेने की क्षमता, बुद्धि और विवेक का स्रोत है। महत तत्व से ही अहंकार और बुद्धि का जन्म होता है।
  4. अहंकार (Ahamkara): यह वह तत्व है, जो व्यक्ति में ‘मैं’ या अहंकार का अनुभव उत्पन्न करता है। अहंकार के द्वारा ही मनुष्य को अपने अस्तित्व की पहचान होती है।
  5. मन (Manas): यह मानसिक तत्व है, जो विचारों, इच्छाओं और भावनाओं को नियंत्रित करता है। मन को निर्णय लेने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता होती है।
  6. बुद्धि (Buddhi): यह तत्व बुद्धि या विवेक से जुड़ा होता है, जो किसी व्यक्ति को सही-गलत की पहचान करने में मदद करता है। यह महत से जुड़ा हुआ है और निर्णय लेने की क्षमता को स्पष्ट करता है।

इन 6 तत्त्वों के माध्यम से, परमात्मा (जो शुद्ध चेतना और सर्वोच्च आत्मा है) और जीवात्मा (व्यक्तिगत आत्मा) के बीच के संबंध को समझा जाता है। इन तत्त्वों के परिप्रेक्ष्य में, उद्देश्य यह है कि व्यक्ति आत्मा के परम रूप को पहचानकर, अपने अहंकार और भौतिक अस्तित्व से परे, परमात्मा के साथ एकत्व की अवस्था को प्राप्त कर सके।

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