ज्योतिष, हस्तरेखा और पूर्वजन्म संस्कारों के प्रभाव से संत और आध्यात्मिक व्यक्तित्व का निर्माण

ज्योतिष और हस्तरेखा में संत, योगी, और महात्मा बनने के योग के बारे में निम्नलिखित बिंदु महत्वपूर्ण हो सकते हैं:ज्योतिष में:ग्रहों की स्थिति:बृहस्पति (जुपिटर): धर्म और अध्यात्म का कारक ग्रह। उच्च स्थिति में हो या नवम, बारहवें भाव में हो तो यह संकेत होता है।केतु: अध्यात्म और मोक्ष का ग्रह। बारहवें, आठवें, या चतुर्थ भाव में केतु की स्थिति अध्यात्मिकता को दर्शाती है।सप्तम भाव: इस भाव में यदि सूर्य, चंद्रमा, या गुरु की स्थिति हो तो यह व्यक्ति को आध्यात्मिक बनाता है।धनु और मीन राशि: ये राशियाँ भी आध्यात्मिकता का प्रतीक मानी जाती हैं।योग और दशाएं:गजकेसरी योग: चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनने वाला योग जो व्यक्ति को धर्म और अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है।धर्मकारक योग: नवम और दशम भाव के स्वामी का संबंध।हस्तरेखा में:गुरु पर्वत (Mount of Jupiter): उन्नत और स्पष्ट गुरु पर्वत अध्यात्मिकता और धार्मिकता का संकेत है।भाग्य रेखा (Fate Line): भाग्य रेखा अगर गुरु पर्वत की ओर जाती है तो यह अध्यात्मिकता और धार्मिकता की ओर इशारा करती है।सूर्य रेखा (Sun Line): सूर्य रेखा की स्पष्टता और उन्नति व्यक्ति के आध्यात्मिक व्यक्तित्व को दर्शाती है।त्रिशूल चिन्ह (Trident Sign): गुरु पर्वत या हृदय रेखा पर त्रिशूल चिन्ह का होना भी आध्यात्मिकता का सूचक है।संतान रेखा (Children Line): यदि यह रेखा बहुत स्पष्ट और मजबूत हो तो यह संकेत देती है कि व्यक्ति अपनी संतानों के माध्यम से भी आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।इन संकेतों और योगों के माध्यम से व्यक्ति के आध्यात्मिक और धार्मिक झुकाव का आकलन किया जा सकता है। हालांकि, जीवन में आध्यात्मिकता का विकास व्यक्तिगत प्रयास और अनुभवों पर भी निर्भर करता है।
मैंने जो जीवन मे अनुभव किया वह राहु अगर बारवे घर मे हो बृहस्पति 9 वे घर मे ओर शनि यदि चतुर्थ घर मे हो तो व्यक्ति को आध्यात्मिक संस्कार परिवार से मिलते है और उन संस्कारो का प्रभाव जातक पर पड़ता है इसके अलावा जो व्यक्ति जिस घर मे जो पूर्व जन्म के संस्कार ले कर उसने आध्यात्मिक घर चुन के जन्म लिया है तो उसमें आध्यात्मिक संस्कार माता पिता और परिवार के वातावरण से ओर उच्च के बनेगे नो उसे आध्यात्मिक उन्नति देंगे इसके अलावा जब इंसान का मन पाप कर्म।करते करते पाप कर्म से नफरत हो जाती है या वो मन की शांति के लिए किसी ऐसे व्यमती की तलाश कर उसकी शरण मे जाता है तो आध्यात्मिकता का जन्म हो जाता है और उसकी गहरी लगन उसे पाप।कर्मों का भुगतान कराकर नेक संत बना देती है मेरी सोच के अनुसार जहां ज्योतिष के ग्रह हस्त रेखा व संस्कार का इंसान पर लरभाव पड़ता हैवही जातक जिस घर मे जन्म लेता है और आध्यात्मिक ससंस्कारो को माता पिता के आचरण को ग्रहण कर उच्च कोटि का व्यक्तित्व पाता है और एक संत बन नाम रोशन करता है ये सब इंसान के पूरव जन्म।में किये कर्मो के फलों के अनुसार घटित होता है नमन

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