समानता और प्रेम की ओर एक पुकार

तेरी दुनिया मे जन्म ले अलग अलग मबजब ओर जात पात नजर आती है किसी को।हेय दृस्टि से तो किसी को प्यार की नजर से आका जाता है जानता हूं ये दुनिया पैसे वालो की यहां हर चीज सोने के तराजू से तौला जाता है जानता हूं हर इंसान अपने कर्मो के अनुसार कर्म के कारण जन्म लेता है फिर गरीब को हेय नजरो से क्यो देखा जाता है जानता हूं मैं मन्दिरमस्जिद गुरुद्वारे चर्च माता पिता में भगवान बिराजते है फिर धर्म को।क्यो।मान अहमियत दी जाती है उस ईश्वर ने तो सबको इस दुनिया मे कर्म के अनुसार जन्म दिया है फिर जाती पाती के अनुसार क्यो महत्व देते है जबकि लिखने वाला तू ही है हर इनसान का भाग्य तो क्यो उच्च नीच सजा इंसान को दी जाती है मानता हूं न कोई दोस्त न कोई दुश्मन पर घृणा क्यो इंसान के लिए इंसान में पैदा हो जाती है है जबकि हर इंसान का मुक्कदर तू लिखता है किसी को कम।किसी को ज्यादा उम्र को बक्शी जाती है है मेरे रब मेरे इन बातों का तेरे पास कोई उत्तर तो अवश्य देना जो।बीज उग रहे घ्रणा ओर घमण्ड के कम से कम इनको दूर कर देना

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