मैं मैं नही मैं वो नही मैं तू नही ओर मैं मैं नही येभी जानता हूं मिला है ये हाड़ मास का शरीर जिसका कोई उम्र का ठिकाना नही नही फिर भी वह आत्मा के कंट्रोल में जोआत्मा की हर आवाज सुनता है और जब नही सुनता तो भविष्य अंधेरे में घिर जाता है और मैं को भूल तू पर अपना विस्वास जमाता है जब विस्वास हो जाता है मैं तू खो के मैं का अस्तित्व मिट तू का अस्तित्व आत्मा पर छा जाता है जब ये पता चलता है इंसा में इंसानियत आ वह मानव बन के उसके करीब पहुच कर तू के समीप पहुच जाता है