दिल की शुद्धता और समर्पण: ईश्वर के साथ एकता की ओर

मन मे अगर कोई दोष नही तो कुछ सोचने की जरूरत नही बस अपना दिल साफ और नियत नेक हो तो उसे पाना मुश्किल नही बस उसकी याद में निरन्तर डूबे रहो और उसके प्यार में दिल को नहलाते रहो फिर दिल पाक साफ जब हो जाएगा खुदा खुद पे तुम्हारे अंदर समा जाएगा और लग जायेगी समाधि ओर शून्य में खो जाएगा ये तभी संभव है जब दिल नेक बन ईश्वर के प्रति समर्पित हो तो वैरागी बन वैराग्य को धारण कर भूल इस भौतिक दुनिया को अपने ईस्ट यानी गुरु रूपी ईश्वर मे तन मन से मिल एक होंजाएगा

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