संत के गुण और आचरण अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे न केवल आत्म-उत्थान की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं, बल्कि समाज को भी शांति और सद्भाव का संदेश देते हैं। संत के कुछ प्रमुख गुण और आचरण निम्नलिखित हैं:
- सत्यनिष्ठा: संत हमेशा सत्य बोलते हैं और सत्य के मार्ग पर चलते हैं। उनका जीवन सत्य के प्रति समर्पित होता है।
- धैर्य और सहनशीलता: संत अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना धैर्य और सहनशीलता से करते हैं। वे किसी भी परिस्थिति में संतुलन बनाए रखते हैं।
- दया और करुणा: संत दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखते हैं। वे दूसरों के दुःख-सुख में सहभागी होते हैं और उनकी मदद करते हैं।
- समान दृष्टि: संत हर व्यक्ति को समान दृष्टि से देखते हैं, चाहे वह उच्च वर्ग का हो या निम्न वर्ग का। उनके लिए सभी प्राणी समान होते हैं।
- विनम्रता: संत हमेशा विनम्र रहते हैं और कभी अहंकार या घमंड नहीं करते। उनका आचरण हमेशा सरल और मृदु होता है।
- सेवा और त्याग: संत समाज की सेवा करते हैं और अपनी इच्छाओं का त्याग करके दूसरों के कल्याण में लगे रहते हैं। वे आत्म-कल्याण से अधिक परोपकार में विश्वास करते हैं।
- प्रेम और श्रद्धा: संत सच्चे प्रेम और श्रद्धा से भगवान की भक्ति करते हैं। उनका जीवन प्रेम और भक्ति से परिपूर्ण होता है।
- सत्य और अहिंसा का पालन: संत अहिंसा के परम समर्थक होते हैं और अपने विचारों, शब्दों और क्रियाओं में हिंसा से दूर रहते हैं।
इन गुणों और आचरणों के द्वारा संत न केवल अपने जीवन को सुंदर बनाते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य भी करते हैं।न ऐसे संत किसी को अपने अधीन गुलाम बना कर रखते है पर ये परमात्मा रूपी गुरु के गुलाम होते है ऐसे संत
भौतिक दुनिया के आडम्बर से दूर निस्वार्थ निष्पक्ष होते है